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पत्नी को छोड़कर दुबई में नौकरी कर रहा पति, नहीं लेता सुध; अब कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

बरेली की रहने वाली फारेहा बीते 6 सालों से कोर्ट के चक्कर काट रही थी मगर अब उन्हें अदालत ने बड़ी राहत दी है। दुबई में काम कर रहे उसके पति को उसे 9.62 लाख रुपए चुकाने होंगे। फारेहा का पति कमाल दुबई में एक बैंक में नौकरी करता है।

फारेहा ने तकरीबन 6 साल पहले कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसकी बच्ची और उसका भरण पोषण करने के लिए उसका पति मदद नहीं करता है। ऐसे में कोर्ट ने 6 साल बाद फरेहा के हक में फैसला सुनाया है। उसके पति को अदालत में दावा दायर करने की तारीख से ₹13000महीने देने का फैसला सुनाया है।

छोटी-छोटी बातों पर करता था परेशान

गौरतलब है कि बरेली जनपद के जाफर खां बारादरी की निवासी फारेहा का निकाह चक महमूद के रहने वाले जुहैब कमाल से साल 2012 में हुआ था। पीड़िता ने कोर्ट में कहा कि उसके पति और ससुराल वाले शादी के बाद से ही छोटी-छोटी बातों पर उसे पीड़ित करते थे।

दुबई

इसी बीच उसका शौहर दुबई चला गया तो उसका जीवन यापन का जिम्मा सास ससुर के ऊपर आ गया। जब भी उसका शौहर दुबई से वापस लौट कर आता है ना ही उसकी कोई परवाह करता है। इस दौरान फारेहा गर्भवती भी हो गई। बेहतर इलाज ना मिल पाने के कारण उसका गर्भपात हो गया।

साल 2013 में दिया एक बेटी को जन्म

वहीं साल 2013 में एक बेटी को उसने जन्म दिया। इसके बाद उसके हालात दिन-ब-दिन बिगड़ती चले गए। फरेहा परेशान होकर अपने मायके चली गई बीते पिछले 6 साल से वह कचहरी के चक्कर काट रही है। उसका शौहर बीच-बीच में घर आता है। मगर उसकी और उसकी बेटी की कोई सुध नहीं लेता है। पहले तो बात भी कर लेता था मगर अब बात करना भी उसे नागवार गुजरता है। ऐसी स्थिति में फारेहा अपने मां-बाप पर बोझ बन चुकी है।

न्यायालय के आदेश की कॉपी भेजी जाएगी दुबई

पारिवारिक न्यायालय के जज शैलेंद्र चंद्रानी पीड़िता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ₹8000 का फारेहा और ₹5000 उसकी बेटी को हर माह अंतरिम भत्ता दिए जाने का आर्डर किया है। पीड़िता 74 महीने की एकमुश्त रकम 9.62 लाख रुपए शौहर से ले सकेगी। इस आदेश की कॉपी को विपक्षी दूतावास के माध्यम से दुबई भेजा जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को होनी है।