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कंपनी ने पेश की मिसाल, 60 लाख रुपए खर्च करके कर्मचारी का श’व भेजा उसके घर

इंदौर से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर है कि यहां की रहने वाले एक शख्स जो जिस कंपनी में नौकरी करता था उसकी कम्पनी ने उसके आखिरी वक़्त में उसके परिवार के लिए एक सराहनीय काम किया है।

दरअसल, कोलकाता में स्थित विसुवियस इंडिया लिमिटेड नाम की एक कंपनी ने अपने कर्मचारी की मृ’त्यु होने पर उसके पा’र्थिव शरीर को उसके परिवार के पास पहुंचने के लिए 60 लाख रुपए किए खर्च किए हैं।

 

कंपनी ने पेश की मिसाल, 60 लाख रुपए खर्च करके कर्मचारी का श'व भेजा उसके घर

जानकारी के अनुसार, जिस शख्स की मौ’त हुई है वो इंदौर के उषा नगर एक्टेंशन का निवासी था और उसका नाम रितेश डूंगरवाल था। वहीं ये शख्स कोलकाता में विसुवियस इंडिया लिमिटेडमैनेजिंग डायरेक्टर की पोस्ट पर था। वहीं उनकी मौ’त के बाद उनकी पार्थि’व शरीर को उसके घर तक पहुंचाने के लिए 180 सीटर प्लेन ही बुक कर दिया। जिसका खर्च 60 लाख रुपए आया है।

रितेश के साले बादल चैरड़िया के अनुसार. जीजाजी की 19 अगस्त को हा’र्टअ’टैक से मौ’त हो गई थी। परिवारजन उनकी बॉ’डी को लाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कंपनी ने परिवार के सपोर्ट के लिए तत्काल 30 कर्मचारी उनके घर पर भेज दिए। उसी दिन बॉडी को इंदौर भिजवाने के लिए प्लेन की व्यवस्था भी कर दी।
कंपनी ने पेश की मिसाल, 60 लाख रुपए खर्च करके कर्मचारी का श'व भेजा उसके घरवहीं सराहनीय काम को लेकर मृ’तक के परिजनों ने बताया कि जब प्लेन कोलकाता में नहीं मिला तो दिल्ली से व्यवस्था की गई। इसके लिए कंपनी ने परिवार से किसी भी तरह से मदद नहीं ली। परिजनों का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि कंपनी ऐसा कोई कदम उठाएगी। कंपनी ने करीब 50 से 60 लाख रुपए खर्च कर परिवार को बॉडी के साथ इंदौर भेजा।

इसी के साथ मृ’तक के परिजनों ने कंपनी की सराहना करते हुए कहा कि इस दौरान कंपनी के दो पदाधिकारी भी तीन दिन तक इंदौर में रहे और सभी क्रिया कलापों को संपन्न करवाने के बाद ही वापस लौटे।

कंपनी ने पेश की मिसाल, 60 लाख रुपए खर्च करके कर्मचारी का श'व भेजा उसके घर

वहीं रितेश के भाई सौरभ डूंगरवाल का कहना हैं कि इंदौर भाई की कर्मभूमि थी, इसलिए हम चाहते थे कि इंदौर में ही अंतिम सं’स्कार किया जाए। शुरुआत में हमने प्राइवेट जेट से लाने की कोशिश की। जिसमें भैया के साथ भाभी और दो बच्चे आ सकें। प्राइवेट जेट का दिल्ली से कोलकाता और फिर इंदौर लाने की प्रोसेस चल रहा था, लेकिन इसमें समय लग रहा था। इसी बीच कंपनी ने अपनी ओर से एक पूरा प्लेन बुक कर दिया। जिसके बाद उनके भाई का पर्थिव शरीर उनके घर आ पाया है।