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गोरखपुर के हुनर से सजा हया का लिबास; दुबई, कुवैत समेत 30 देशों में हो रही बिक्री

गोरखपुर के हुनरबाज कारीगरों की कारीगरी कई देशों में लोगों के दिलों- दिमाग पर चढ़कर बोल रही है। पिपरापुर मोहल्ले के कारीगर इंडोनेशिया और जापान से मंगाए गए कपड़े, क्रिस्टल मोती, क्रिस्टल सुराही और जरी को अपने हुनर में बुन कर ऐसा बेजोड़ हिजाब बना कर तैयार कर रहे है, जो दुबई, कुवैत , ओमान , इंग्लैंड, न्यूजीलैंड , मलेशिया, सऊदी अरब , कनाडा, कतर सहित 30 देशों में हाथो हाथ बिना किसी देरी के बिक रही है। हया का पर्दा बना कर तैयार करने में कुल 30 कारीगर लगे है, जो एक दिन में 25 हिजाब बना लेते है।

वैसे तो देश के अलग – अलग हिस्सों में हिजाब तैयार किए जाते है लेकिन उनकी कीमत कारीगरी से तय होती है। जरदोजी और हाथ से तैयार नकाब की मांग और कीमत सबसे ज्यादा है। जितना बारीक काम किया जाता है उतना ही ज्यादा पैसा भी लिया जाता है। इस तरह से हिजाब के लिए माहिर कारीगर की आवश्कता पड़ती है।

पिपरापुर के तौफिक अहमद इसके स्पेशलिस्ट है। 30 कारीगरों के साथ वो ऐसे ही हिजाब तैयार करते है। हाल ही में तौफीक बताते है कि अच्छे डिजाइन , काफी बारीक काम और बेहतर फिनिशिंग से कीमत तय रहती है।

एक खूबसूरत और अच्छा हिजाब तैयार करने में 12 से लेकर 15 हजार रुपए तक का कच्चा माल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही विदेश में दो गुने दाम पर आसानी से बिक जाता है। मांग बहुत है लेकिन ट्रेनर कारीगर की कमी की वजह से काम को सही समय पर पूरा करने में मुश्कलात का सामना करना पड़ता है। ये हिजाब एक इंडोनेशियाई कपड़े से बनाया जाता है, जिसे कड़कड़ाती गर्मी में पहनने पर भी गर्मी का अहसास ना होना ही इस कपड़े की खासियत है। हिजाब तैयार कर आजमगढ़ में एक फार्म को दे दिया जाता है। वहीं फर्म आर्डर लेती है और निर्यात करवाया करती है।