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अबू धाबी के हिंदू मंदिर के लिए रखे गए पहले नक्काशीदार पत्थर

मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात बन रहे पहले पारंपरिक हिंदू मंदिर नींव पर पहला पवित्र पत्थर रखा गया है। दरअसल, ‘प्रथम शिला स्थापना सप्ताह’ नामक समारोह अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर स्थल पर 16 नवंबर तक चलेगा। वहीं इस दौरान मंगलवार को पारंपरिक हिंदू मंदिर के पहला पवित्र पत्थर रखा गया।

जानकारी के अनुसार, इस साल की शुरुआत में 2,000 से अधिक मूर्तिकारों द्वारा राजस्थान और गुजरात राज्यों में हाथ से तराशी जाने के बाद गुलाबी बलुआ पत्थर भारत से भेजे गए थे। इस ऐतिहासिक परियोजना पर काम करने के लिए 17 पत्थर कारीगरों की टीम पहुंची है। जिसके बाद मंगलवार को पारंपरिक हिंदू मंदिर के पहला पवित्र पत्थर रखा गया।

अबू धाबी के हिंदू मंदिर के लिए रखे गए पहले नक्काशीदार पत्थर

वहीं इस समारोह पूज्य ब्रह्मविहारी स्वामी, संतों और 300 से अधिक गणमान्य व्यक्तियों के साथ-साथ भक्तों, स्वयंसेवकों और शुभचिंतकों की उपस्थिति में आयोजित किया गया था, जिन्होंने नींव के पांच मीटर ऊंचे चबूतरे पर पहले नक्काशीदार पत्थरों को रखा था।

वहीं ब्रह्मविहारी स्वामी ने कहा कि हम में से अधिकांश लोग 2018 से कई ऐतिहासिक और यादगार समारोहों के साथ इस मंदिर की दृश्यमान प्रगति का अनुसरण कर रहे हैं। यह अभी तक एक और लेकिन बहुत महत्वपूर्ण निर्माण मील का पत्थर है क्योंकि अब हमें इस अद्भुत मंदिर के ब्लूप्रिंट की पहली झलक देखने को मिलेगी।

अबू धाबी के हिंदू मंदिर के लिए रखे गए पहले नक्काशीदार पत्थर

इस मंदिर का निर्माण प्राचीन हिंदू ‘शिल्पा शास्त्रों’ – वास्तुकला के संस्कृत शास्त्रों के अनुसार किया जाएगा। विभिन्न आकारों की प्रत्येक हाथ से नक्काशीदार मूर्ति भारत की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाती है और इसमें अरबी प्रतीक भी शामिल हैं।

वहीं ब्रह्मविहारी स्वामी ने ये भी कहा कि “अगले कुछ दिनों में, विजिटर्स प्रत्येक पत्थर पर उकेरी गई जटिल कला और सार्वभौमिक मूल्य की कहानियों की सराहना करने में सक्षम होंगे। पत्थरों पर उकेरी गई ये कहानियां हमेशा मानवीय सद्भाव के मूल्यों का जश्न मनाएंगी। हम सभी इस आध्यात्मिक सपने को दिन-ब-दिन पूरा करने में मदद करने के लिए उनकी प्रार्थना, प्यार और समर्थन के लिए और एक-एक ईंट के लिए बहुत आभारी हैं।

अबू धाबी के हिंदू मंदिर के लिए रखे गए पहले नक्काशीदार पत्थर

वहीं अंतिम डिजाइन के अनुसार, मंदिर में सात शिखर और पांच गुंबद होंगे। परिसर में एक विजिटर्स केंद्र, प्रार्थना कक्ष, पुस्तकालय, कक्षा, सामुदायिक केंद्र, मजिलिस, एम्फीथिएटर, खेल क्षेत्र, उद्यान, किताबें और उपहार की दुकानें, फूड कोर्ट और अन्य सुविधाएं होंगी।”

इसी के साथ मंदिर पहली और एकमात्र ऐसी पत्थर की संरचना होगी जिसमें अगले 50 वर्षों के लिए तनाव, दबाव, तापमान और भूकंपीय घटनाओं के ऑनलाइन सक्रिय डेटा प्रदान करने के लिए 10 विभिन्न स्तरों पर एम्बेडेड 300 से अधिक हाई-टेक सेंसर होंगे। इमारत में भारत में प्राचीन धार्मिक मंदिरों की वैदिक वास्तुकला को दर्शाते हुए कोई स्टील सुदृढीकरण नहीं होगा। वहीं ये मंदिर के 2023 में पूरा होने की उम्मीद है और यह कम से कम 1,000 साल तक चलेगा।