कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कुवैत ने भारत समेत कई देशों के यात्री विमान पर रोक लगाई है, हालांकि देखा जाए तो प्रवासियों पर यात्रा प्रतिबंध करीब चार महीने से अधिक समय से लगा हुआ है। ऐसे में तमाम लोगों को अपने काम पर लौटने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं इसी बीच कुवैत में एक सांसद ने प्रवासियों पर लगे यात्रा प्रतिबंध को अन्याय कहा है। सांसद थमेर अल सुवैत (MP Thamer Al Suwai) ने कहा, “नैतिक दृष्टिकोण या कानून के तहत लोगों के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं के अनुसार उन्हें अपने देश की यात्रा करने से रोकने की अनुमति नहीं है। ऐसे तमाम लोग हैं जो एक साल से अधिक समय से अपने परिवारों से मिले नहीं है। इस वजह से यह सरकार की जिम्मेदारी है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
कुवैती सलाहकार सर्जन डॉ. मोहम्मद जमाल (Dr. Mohammed Jamal) ने एक ट्वीट में कहा, ‘एक प्रवासी किसी एक नागरिक की तुलना में अलग तरीके से महामारी नहीं फैलाता है। जहां तक कोरोना वायरस का सवाल है, तो मनुष्य समान हैं: तो आइए हम प्रवासी और नागरिक के साथ यात्रा करने की अनुमति देने में समान व्यवहार करें। यात्रा करते समय एक नागरिक पर क्या लागू होता है, यह प्रवासियों पर भी लागू होगा?”
जानकारी के लिए आपको बता दें, सोशल मीडिया पर कई लोगों ने बैन खत्म करने और लगातार बैन के पीछे की वजह पर सवाल उठाए हैं। वहीं लेखक Dalaa Al Moufti ने अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा कि “निवासियों के मुद्दे को हल किया जाना चाहिए और इस समूह पर ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे भी इंसान हैं जिनके परिवार और प्रियजन हैं और जो एक वर्ष से अधिक समय से उनसे मिले भी नहीं हैं। ऐसे परिवार हैं जो अलग हो गए हैं, बच्चे अपने माता-पिता से अलग हो गए हैं।
गौरतलब है कि नागरिक उड्डयन महानिदेशक (DGCA) ने घोषणा की कि जिन नागरिकों को टीका लगाया गया है, उन्हें कुवैत आने पर क्वारंटीन से छूट दी गई है। मालूम हो कि 7 फरवरी से गैर कुवैतियों के कुवैत जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कुवैत में स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार होने के बावजूद प्रतिबंध अभी भी लागू है।
कई प्रवासी महीनों से विदेश में फंसे हुए हैं और कुवैत लौटने में असमर्थ हैं, जबकि अन्य यात्रा के बारे में चिंतित है। वे अनिश्चित हैं कि वे कब लौट पाएंगे।
यात्रा प्रतिबंध हटाए जाने के कोई संकेत नहीं होने के कारण, कई प्रवासियों ने अपने देशों में घर वापस जाने का फैसला किया है क्योंकि वित्तीय बाधाएं खाड़ी देश में रहने की उनकी क्षमता को प्रतिबंधित करती हैं।