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जानिए यूएई के एक ऐसे भारतीय स्कूल के बारे में, जहां पढ़ाई जाती है कृषि, छात्र करते हैं खेती

इंसान को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन के अभाव में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता है। दुनिया की आबादी का पेट खेती से उपजे अनाज से ही भरता है। ऐसे में हर किसी को भी कृषि के बारे में जागरूक होना चाहिए। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आज आपको एक ऐसी ही जागरूक करने वाली रोचक जानकारी बताने जा रहे हैं।

संयुक्त अरब अमीरात के अजमान में एक ऐसा भारतीय स्कूल है। जहां पर स्कूल के छात्रों को खेती करने के तौर-तरीकों के बारे मे पढ़ाया जाता है। स्कूल द्वारा बच्चों को खेती करने के तरीकों के बारे में सिखाया जाता है। अब तक पिछले करीब 5 सालों में स्कूल परिसर में 7.4 टन से ज्यादा सब्जी उगाई जा चुकी है। पूरी दुनिया में संयुक्त अरब अमीरात के बारे में धारणा है कि यह एक रेगिस्तानी देश है। ऐसे में यहां पर खेती किसानी का सवाल ही नहीं उठता है। मगर स्कूल द्वारा किए गए कृषि लेकर प्रयासों ने यह साबित कर दिया कि रेगिस्तान के इलाकों में भी खेती की जा सकती है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 10 सालों से सीबीएसई सिलेबस के किसी के रूप में कृषि विषय को पढ़ाने के बाद यूएई की अजमान के हैबिटेट स्कूलों के अंतर्गत 3 स्कूलों ने शारजाह इंटरनेशनल बुक फेस्टिवल में कृषि पर एक पुस्तिका जारी की है। हैबिटेट विद्यालयों की एमडी शम्सु ज़मान सीटी के मुताबिक ग्रुप बनाकर इंटरनेशनल इंडियन स्कूल 2011 में अपने सिलेबस में कृषि को शामिल करने वाला संयुक्त अरब अमीरात का पहला कॉलेज था।

डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा बनने जा रहे हैं स्टूडेंट 

जानिए यूएई के एक ऐसे भारतीय स्कूल के बारे में, जहां पढ़ाई जाती है कृषि, छात्र करते हैं खेती

स्कूल के प्रबंध निदेशक सम सुजमान ने गल्फ न्यूज़ को जानकारी देते हुए बताया कि हमारे विद्यालयों ने सांस्कृतिक रूप से समावेशी टेक्निकल तौर पर प्रभावी और पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील तरीकों को अपनाकर एजुकेशन का नया प्रतिमान स्थापित किया है। उन्होंने आगे कहा कि हमने अपने स्कूल के छात्र-छात्राओं को उनके फ्यूचर के लिए आवश्यक चीजें कृषि और कोडिंग को अपने सिलेबस में शामिल किया है।

उन्होंने आगे कहा कि स्कूल के छात्र डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा बनने जा रहे हैं और उन्हें विश्व के बारे में विकसित हो रही नई नई चीजों को गौर से सीखने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा हमेशा लोगों को प्रकृति के नजदीक होकर यह जानने की कोशिश कृषि हमारे जीवन में क्या योगदान देती है। स्कूल के प्रबंधक समसू ने बताया कि नेचर के प्रति प्रेम उत्पन्न करना इसके साथ ही धरती पर समस्त जीवो के प्रति देखभाल की भावना लाना और इंसानों द्वारा खाए जाने वाले खाने के उत्पादन के लिए किए गए श्रम के प्रति सम्मान की भावना पैदा करना हमारे स्कूलों के इन उद्देश्यों ने habit-forming प्रोग्राम को इंस्पायर किया है।

ऐसे होती है पढ़ाई

जानिए यूएई के एक ऐसे भारतीय स्कूल के बारे में, जहां पढ़ाई जाती है कृषि, छात्र करते हैं खेती

संयुक्त अरब अमीरात स्थित अजमान के इन स्कूलों में एग्रीकल्चर टीचर प्रतिभा एम कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि सीबीएससी सिलेबस में कोएजुकेशनल क्षेत्रों के अंतर्गत कृषि पाठों को कार्य शिक्षा में शामिल किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह मुख्य विषय नहीं है। परंतु यह एक अनिवार्य सब्जेक्ट है। उन्होंने आगे बताया कि हमारे स्कूल में बच्चों को कक्षा 3 से लेकर आठवीं तक खेती की प्रारंभिक जानकारी दी जाती है।

हमारे यहां के सभी छात्र कृषि में काफी दिलचस्पी लेने लगे हैं। केरल कृषि यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाली प्रतिभा ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात के अजमान में मिट्टी की पारिस्थितिकी के बावजूद 24 विभिन्न विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाने में सफलता हासिल की है। इसके अलावा यहां पर अंगूर और मक्का की भी खेती की गई है। जिसमें उन्हें सफलता मिली है। स्कूल के छात्रों को 15 दिनों में एक बार कृषि की कक्षाएं दी जाती हैं।

जानिए किस रिकॉर्ड को किया ध्वस्त?

साल 2019 में स्कूल के तीनों कैंपस को मिलाकर लगभग 10000 छात्रों ने बीज से पौधे के लिए “सीड टू प्लांट” कार्यक्रम में भाग लिया और बड़े पैमाने पर पौधों का वितरण करके गिनीज वर्ल्ड का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस कार्यक्रम के तहत उगाए गए 9371 मोर्नगा शीश बिना के अलावा गफ के पौधों को पूरी सिटी में लगाने के लिए अजमान नगर पालिका के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट को दिए। जबकि इन स्कूलों के छात्रों ने साल 2018 से 21 तक लेकर हैबिट स्कूल समर असाइनमेंट के अंतर्गत संयुक्त अरब अमीरात और घरेलू देशों में अपने-अपने घरों में 39800 अन्य पौधे भी लगाएं हैं।