कोरोन वायरस की वजह से खाड़ी देशों में काम करने गये कई लोगों की नौकरी चलाई गयी जिसकी वजह से इसमें से अधिकां लोग वापस आपने देश लौट रहे हैं। वहीं इस बीच दुबई में दो कारपेंटरी फर्मों में काम करने वाले 49 भारतीय कामगार दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास की मदद से वापस आपने देश लौटे हैं।
दरअसल, दुबई में दो कारपेंटरी फर्मों के अधिकारियों ने 49 भारतीय श्रमिकों के पासपोर्ट अपने पास जमा कर लिए थे और इस वजह से ये लोग कोरोना कहर के बीच वापस आपने देश लौट नहीं सकते थे, लेकि दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास की मदद से ये लोग वापस लौटे है और इस बात कि जानकारी दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने ट्वीट करके दी है।
Consulate is #HappyToAssist more than 45 Indian labourers who were abandoned by their employers.CGI provided them with rations for more than 3 months & helped to retrieve their passports from their employer.The labourers returned in batches to India with the support of Consulate. pic.twitter.com/zNKJlqj6PN
— India in Dubai (@cgidubai) October 11, 2020
दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने घोषणा करी कि कामगारों को वापस स्वदेश भेजा गया है। इसी के साथ दूतावास ने ये भी जानकारी दी कि 45 से अधिक भारतीय कामगारों को उनके नियोक्ताओं द्वारा छोड़ दिया गया था। सीजीआई ने उन्हें 3 महीने से अधिक के लिए राशन प्रदान किया और अपने नियोक्ता से पासपोर्ट प्राप्त करने में मदद की। वाणिज्य दूतावास के सहयोग से कामगार भारत वापस आ गए है।
वहीं वाणिज्य दूतावास ने जानकारी दी कि कंपनियों के बंद होने के बाद कुल 49 कामगार दिक्कतों का सामना कर रहे थे। उन्हें लगभग छह महीने तक भुगतान नहीं किया गया था और वे घर लौटने में मदद के लिए वाणिज्य दूतावास तक पहुंच गए। जुलाई से श्रमिकों को खाद्य आपूर्ति प्रदान की है। इसके साथ ही श्रमिकों के पासपोर्ट जो कंपनियों के कब्जे में थे। उन्हें वापस दिलाने में भी मदद करी। हालांकि, मालिक उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में वाणिज्य दूतावास ने फर्मों के पीआरओ से संपर्क किया गया और दुबई के पुलिस और अल एडहेड सेंटर ऑफ़ दुबई कोर्ट के सहयोग से श्रमिकों के पासपोर्ट और सिक्योरिटी राशि dh3,000 वापस ले लिए गए।
इन श्रमिकों में अधिकांश श्रमिक उत्तर प्रदेश से हैं। अधिकारी ने बताया कि “अंतिम समूह 10 अक्टूबर को लखनऊ रवाना हो गया।” चूँकि मज़दूरों के वीजा वैध थे, इसलिए उन्हें किसी ओवरस्टे जुर्माना का सामना नहीं करना पड़ा।