यूएई में भारतीय वाणिज्य दूतावास की तरफ से अबू धाबी हिंदू मंदिर को लेकर एक अहम जानकारी दी गई है, जिसमें बताया गया है कि यूएई के पहले पारंपरिक हिंदू मंदिर को फरवरी 2024 में जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
यूएई में भारतीय राजदूत संजय सुधीर ने कहा है कि कोरोना महामारी की चुनौतियों के बावजूद बीएपीएस हिंदू मंदिर दो साल से भी कम समय में बनकर तैयार हो जाएगा। यह मंदिर लोगों के प्रेम और सहिष्णुता की कहानी बतलाता है। यह सद्भाव की कहानी है क्योंकि इसमें विभिन्न समुदाय शामिल हैं। मंदिर फरवरी 2024 में खोला जाएगा।
यूएई में भारतीय राजदूत संजय सुधीर ने मंदिर में पहली मंजिल पर किए गए एक धार्मिलक समारोह ‘महापीठ पूजन विधि’ के दौरान कही। मौजूदा समय में मंदिर के 14 लेयर के भूतल तल का काम पूरा हो चुका है और अब अगले चरण के कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है।
Amb @sunjaysudhir participated in foundation laying of the spire @AbuDhabiMandir @BAPS :a temple dedicatd to harmony.Grateful to HH @MohamedBinZayed ,HH @ABZayed @UAEmediaoffice for their generosity.A symbol of the shared vision of our leaders @MohamedBinZayed & PM @narendramodi pic.twitter.com/RUqCZOZ3B2
— India in UAE (@IndembAbuDhabi) May 27, 2022
इसी के साथ संजय सुधीर ने ये भी कहा कि “यह एक ऐतिहासिक दिन है। यह शाही परिवार, राष्ट्रपति महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कारण है। कारीगरों और वास्तुकारों द्वारा पत्थर पर उकेरी गई कहानियां मंदिर में आने वाले सभी लोगों को प्रेरित करेंगी। यह शांति और सहिष्णुता का माहौल बनाने और इस देश के सभी निवासियों को घर जैसा महसूस कराने की दिशा में यूएई के नेताओं की प्रतिबद्धताओं का एक अनुकरणीय उदाहरण है।
शुक्रवार की सुबह बीएपीएस हिंदू मंदिर के प्रमुख पूज्य ब्रह्मविहारीदास स्वामी और अंतरराष्ट्रीय मंदिर निर्माण की देखरेख करने वाले पूज्य अक्षयमुनिदास स्वामी के नेतृत्व में सैकड़ों निवासियों और समुदाय के नेताओं ने समारोह में भाग लिया।
वहीं अपने संबोधन में स्वामी ने कहा “आज का दिन कुछ कारणों से ऐतिहासिक है। आज (27 मई) योगीजी महाराज की 130वीं जयंती है। यहां (दूसरी मंजिल) से शिखर (सर्पिल स्ट्रक्चर) शुरू होंगे। यहां एकत्रित लोग अद्वितीय इंसान हैं जिन्होंने दुनिया के पथ-प्रदर्शक हिंदू मंदिरों में से एक के शिखर (पत्थर) को छुआ है।
वहीं निर्माण का यह चरण ‘गर्भगृह’ (आंतरिक गर्भगृह) को आकार देगा – एक मंदिर में केंद्रीय मंदिर, जिसमें देवताओं का निवास होता है। साधुओं ने मंदिर के समय पर पूरा होने की प्रार्थना करते हुए संस्कृत छंदों का पाठ किया, जो सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला रहेगा। इसी के साथ स्वामी ने बताया कि मंदिर का निर्माण 10 पुजारियों की देखरेख में 3,000 कारीगरों द्वारा किया जा रहा है। वहीं हजारों निवासी यहां हर रविवार को ईंट लगाने के लिए आते हैं। यह सबके प्यार, प्रयास, पसीने और प्रेरणा का परिणाम है।
मंदिर का निर्माण शेख मोहम्मद द्वारा भेंट की गई भूमि पर किया जा रहा है। मंदिर की आधारशिला अप्रैल 2019 में रखी गई थी और दिसंबर में काम शुरू हुआ था।
वहीं साइट पर एस्टर वालंटियर्स और एस्टर डीएम हेल्थकेयर के सहयोग से एक मोबाइल चिकित्सा सेवा की भी व्यवस्था की गई थी। मंदिर में काम करने वाले कारीगरों और विजिटर्स को मुफ्त स्वास्थ्य जांच की पेशकश की गई, जहां उनके महत्वपूर्ण लक्षणों का आकलन किया गया और बाद में, वे मोबाइल क्लिनिक में डॉक्टरों से परामर्श ले सकते थे।