कोरोना के कारण भारत में कई हज़ार लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए थे। साथ ही हजारों की संख्या में प्रवासी भी विदेशों में फंसे हुए थे। वहीं इन सभी लोगों को भारत में अपने गृहनगर और विदेशों से स्वदेश लाने के लिए बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने बड़ी मदद की थी। वहीं इस बीच बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने अब 12 फिलिपिनो बच्चों की मदद की है।
दरअसल, बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने 12 फिलिपिनो बच्चों की जान बचाने के मुफ्त चार्टर उड़ान की व्यवस्था करी। ये सभी बच्चे लीवर जैसे बीमारी से ग्रस्त थे और उन्हें ऑर्गन ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी। जिसके बाद सोनू सूद ने इन 12 बच्चों के लिए एक मुफ्त चार्टर उड़ान की व्यवस्था की, जो शनिवार को दिल्ली में उतरा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सूद ने बताया उन्हें जुलाई में 18 फिलिपिनो शिशुओं को बचाने के लिए संपर्क किया गया था पर “दुर्भाग्य से, छह बच्चे बहुत गंभीर स्थिति में थे और उन्हें बचाया नहीं जा सका। लेकिन उन्होंने बाकि 12 बच्चों के लिए चार्टर उड़ान की व्यवस्था करी और उसके बाद इन सभी बच्चो को मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और प्रत्यारोपण के लिए इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
वहीं इन 12 बच्चों को लेकर नीलोव गोयल, अपोलो के यकृत प्रत्यारोपण, हेपेटोबिलरी और अग्नाशयी इकाई के प्रमुख ने कहा कि इन बारह बच्चों का प्रत्यारोपण बेहद ही जरुरी था पहले, उनमें से 3 से 4 लोग हर महीने फिलीपींस से हमसे मिलने आते थे। लेकिन जब से लॉकडाउन शुरू हुआ, तब से इन बीमार बच्चों को लिवर ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा है। वे गंभीर स्वास्थ्य स्थिति में थे और आगे किसी भी तरह के उपचार में देरी हुई।
12 Filipino children going to India for liver transplant, donors & attendants just boarded flight to Delhi. Hope and pray for their early, healthy return home! Bon voyage!#IndiaCares@MEAIndia @IndianDiplomacy @DFAPHL @pcoogov @flyspicejet pic.twitter.com/UZLtLatLpf
— India in Philippines (@indembmanila) August 14, 2020
वहीं इन बच्चों की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए, अपोलो अस्पताल इन बच्चों को भारत में उड़ाने की योजना बना रहा था, लेकिन लंबे क्वारंटाइन प्रोटोकॉल के कारण योजना को अमल में नहीं लाया जा सका। वहीं गोयल ने ये भी बताया कि “भारत के डॉक्टरों के मनीला में उड़ान भरने और दोनों देशों में लंबे समय तक क्वारंटाइन जैसी कई चुनौती थीं।” जिसके बाद अस्पताल ने तब फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स ऑफ फिलीपींस (FICCP) और भारतीय दूतावास से संपर्क किया, जिसने सूद से संपर्क किया, क्योंकि वह तब फिलीपींस से भारतीय डॉक्टरों की निकासी कर रहा था।
वहीं “देश से डॉक्टरों को बाहर निकालने के दौरान, उनमें से कुछ ने मुझे बच्चों के परिदृश्य के बारे में सूचित किया। बाद में, FICCP के सदस्य और भारतीय दूतावास के अधिकारी मेरे साथ संपर्क में आ गए, ताकि बच्चों को बाहर निकाला जा सके क्योंकि उन्हें दिल्ली के अस्पतालों में लिवर प्रत्यारोपण की तत्काल आवश्यकता थी।” सूद ने कहा, मुझे निकासी की व्यवस्था करने में 20 दिन से अधिक का समय लगा, लेकिन आखिरकार यह हो गया।
सूद ने चार्टर्ड विमान की व्यवस्था की, निकासी एक कठिन काम था। मध्य-वायु में होने वाली किसी भी आपात स्थिति के प्रबंधन के लिए इन बच्चों के साथ एक चिकित्सा दल की आवश्यकता थी।लेकिन सौभाग्य से, यह पाया गया कि दस से अधिक प्रशिक्षु थे, जो फिलीपींस में अपने चिकित्सा प्रशिक्षण को खत्म करने के बाद, उसी दिन दिल्ली के लिए उड़ान भर रहे थे। इन डॉक्टरों से संपर्क किया गया था और उन्होंने स्वेच्छा से इन बच्चों की मदद करने के लिए सहयोग किया।
वहीं इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज, मैक्स के चेयरमैन सुभाष गुप्ता ने कहा कि बच्चे पित्त की बीमारी से पीड़ित हैं, जो शिशुओं में पाया जाने वाला एक असामान्य लेकिन घातक लिवर रोग है। “यह आमतौर पर जन्म के बाद 2-8 सप्ताह के बीच होता है। मैक्स अस्पताल ने कहा कि पांच बच्चों की हालत फिलहाल स्थिर है, और अब क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद इनकी सर्जरी होगी।