दुबई एक ऐसा शहर जहां पर दुनिया की सबसे बड़ी इमारत है और इसका नाम बुर्ज खलीफा है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि दुनिया की सबसे बड़ी इमारत बुर्ज खलीफा का मालिक कौन है और कैसे ये इमारत बनी।
सात अमीरातों से मिलकर बना संयुक्त अरब अमीरात में दुनिया की सबसे ऊंची 168 मंजिला इमारत मौजूद है। जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध इमारत के तौर पर जानी पहचानी जाती है। इसका नाम बुर्ज खलीफा है।
इसका निर्माण साल 2004 की 21 तारीख को शुरू हुआ था। इसे बनाने में तकरीबन 6 साल का समय लगा और यह इमारत साल 2010 में पूरी तरीके से बन के तैयार हुई। और इसका उद्घाटन 4 जनवरी 2010 को किया गया था।
कौन है बुर्ज खलीफा का मालिक?
दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा का मालिक और कोई नहीं बल्कि अबू धाबी के शासक और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद हैं। इतना ही नहीं इस इमारत की लिफ्ट 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।
इतने लोगों की है रहने की व्यवस्था
दुनिया की सबसे ऊंची इमारत में एक साथ तकरीबन 35000 तक लोगों के रहने की व्यवस्था है। इस गगनचुंबी इमारत में 37 ऑफिस फ्लोर और 900 अपार्टमेंट हैं। इतना ही नहीं इस गगनचुंबी इमारत को आप 95 किलोमीटर दूर स्थित होकर भी देख सकते हैं। और इसकी छोटी पड़ोसी मुल्क इरान से भी दिखती है।
जानिए किस मंजिल पर है स्विमिंग पूल?
दुनिया की सबसे ऊंची इमारत की 76 वीं मंजिल पर स्विमिंग पूल जबकि 122 वी मंजिल पर रेस्टोरेंट मौजूद है। सुविधाओं के अलावा बुर्ज खलीफा के नाम पर छह अन्य रिकॉर्ड भी दर्ज हैं।
जिनमें सबसे ऊंची इमारत होने का रिकॉर्ड, जमीन से 210 मीटर की ऊंचाई पर 25 मीटर चौड़ाई वाला हेलीपैड, सबसे ऊंची लिफ्ट इत्यादि भी इस इमारत के नाम पर दर्ज हैं। 158 वी मंजिल पर मस्जिद है। जबकि 144 वी मंजिल पर नाइटक्लब भी स्थित है।
बुर्ज खलीफा के निर्माण में इन चीजों का हुआ है इस्तेमाल
829.8 मीटर की रिकॉर्ड ऊंचाई वाली इमारत बुर्ज खलीफा को बनाने में तकरीबन 6 साल से भी अधिक का समय लगा है इसके अलावा इस इमारत के निर्माण में 1,10,000 टन तक का कंक्रीट लगा है। 55 हजार से अधिक टन इसे बनाने में स्टील रेबर का इस्तेमाल हुआ है।
इन सबके अलावा 26000 ग्लास पैनलों से इस इमारत का बाह्य आवरण तैयार किया गया है। इसके लिए 300 कुशल कारीगरों (आवरण विशेषज्ञ) को चीन से बुलाया गया था। और इतना ही नहीं इस इमारत के निर्माण के समय प्रतिदिन 12000 मजदूर परिश्रम करते थे। इस गगनचुंबी इमारत को बनाने में तकरीबन 8 अरब डॉलर की राशि खर्च की गई थी।