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UAE में बिना पासपोर्ट और नौकरी के भारतीय कामगारों का समूह फंसा, एजेंट ने दिया था धोखा

संयुक्त अरब अमीरात से एक बड़ी खबर सामने आई है और ये खबर भारतीय ब्लू-कॉलर कामगारों लेकर है। दरअसल, UAE में भारतीय ब्लू-कॉलर कामगारों का एक समूह फंसा हुआ है।

जानकारी के अनुसार, जो भारतीय ब्लू-कॉलर श्रमिकों का ग्रुप UAE में फंसा हुआ है वो एक एजेंट द्वारा ठगे गए हैं और अब ये श्रमिक नई नौकरियों की तलाश में या भारत लौटने में असमर्थ हैं क्योंकि उनके पास उनके पास पासपोर्ट नहीं है। वहीं अब ये आठ कामगारों का समूह एक श्रमिक आवास में रह रहे हैं।

UAE में बिना पासपोर्ट और नौकरी के भारतीय कामगारों का समूह फंसा, एजेंट ने दिया था धोखा

इसी के साथ दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास को उनकी दुर्दशा से अवगत कराए जाने के बाद, मिशन ने कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की सेवाओं की सुविधा प्रदान करी है। वहीं श्रमिकों ने कहा कि एक एजेंट उन्हें नौकरी का वादा करके यूएई ले आया। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रत्येक को 30,000 रुपये (Dh1,500) का भुगतान किया। इसी के साथ कार्यकर्ताओं में से एक रायजुल्लाह देवन ने कहा “हम यहां न तो भोजन या काम या पैसे के लिए फंसे हुए हैं।

एक सामाजिक कार्यकर्ता किरण ने उन्हें सबसे पहले सड़क पर देखा। उन्होंने तुरंत वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों से सहायता मांगी। इसके बाद एक दूसरे सामाजिक कार्यकर्ता Hidayath Adoor मदद के लिए आगे आए।

सामाजिक कार्यकर्ता Hidayath Adoor की तरफ से मिले मदद के बाद एक भारतीय कामगार रायजुल्लाह ने कहा कि “हिदायत ने हमें एक आवास प्रदान किया। उन्होंने हमें भोजन और अन्य बुनियादी जरूरतें भी मुहैया कराया।”

UAE में बिना पासपोर्ट और नौकरी के भारतीय कामगारों का समूह फंसा, एजेंट ने दिया था धोखा

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता हिदायत ने कहा कि कामगारों को एजेंट ने ठगा था, जिन्होंने उन्हें नौकरी देने का वादा किया था। वे 5 मार्च को यूएई पहुंचे थे और करीब एक महीने तक एक आवास में रहे। श्रमिकों को बाद में पता चला कि उनके एजेंट ने उस कंपनी को अपना पासपोर्ट नहीं दिया था जो उन्हें काम पर रखने वाली थी।

खलीज टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के एक प्रतिनिधि ने जानकरी दी कि “वे (श्रमिक) यहां आए और लगभग दो सप्ताह तक रहे। हम उन्हें काम पर रखने के लिए तैयार थे, लेकिन उनके पासपोर्ट हमें जमा नहीं किए गए।”

वहीं श्रमिकों की सहायता करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि कुछ कंपनियां श्रमिकों को काम पर रखना चाहती हैं। वहीं हिदायत ने कहा, “श्रमिकों को अपने पासपोर्ट की सख्त जरूरत है क्योंकि कुछ कंपनियां उन्हें काम पर रखने को तैयार हैं।”