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UAE में रहने वाले कामगारों के लिए आयी राहत की खबर, अब कंपनियां नहीं कर पाएंगी पासपोर्ट जब्त

संयुक्त अरब अमीरात यानी कि यूएई ने अपनी आर्थिक शक्ति को बढ़ाने के लिए कामगारों को एक बड़ी छूट दी है। दुबई ने यूएई के फर्मों में काम करने वाले विदेशी कामगारों के लिए मल्टीपल एंट्री वीजा देने की घोषणा की है। जिसकी अवधि 5 साल तक होगी।

7 अमीरातों से मिलकर बनने वाला संयुक्त अरब अमीरात में इसी हफ्ते नए प्राइवेट सेक्टर के लेबर लॉ में बड़े बदलाव को मंजूरी दी है। दुबई सरकार के इस फैसले के बाद कामगारों के पासपोर्ट को स्थानीय कंपनियां ज़ब्त नहीं कर सकेंगी। यह नए कानून साल 2022 के फरवरी माह से लागू हो जाएंगे।

कोरोनावायरस से अर्थव्यवस्था को हुआ तगड़ा नुकसान

UAE में रहने वाले कामगारों के लिए आयी राहत की खबर, अब कंपनियां नहीं कर पाएंगी पासपोर्ट जब्त

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोविड- 19 ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को चौपट कर दिया है। दुबई भी कोरोनावायरस की मार से अछूता नहीं रह सका और उसकी भी अर्थव्यवस्था को काफी तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा है।

अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए संयुक्त अरब की सरकार ने घरेलू इन्वेस्टमेंट और फॉरेन इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा दे देने का फैसला लिया है। अपने इसी फैसले को सही ठहराने के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने लॉन्ग टर्म रेजिडेंसी वीजा समेत अन्य आर्थिक और कानूनी सुधारों की बड़े स्तर पर शुरुआत की है। इसी के साथ संयुक्त अरब अमीरात यूएई अपने प्रतिद्वंदी सऊदी अरब को टक्कर देने की कोशिश भी कर रहा है।

क्रॉउन प्रिंस ने की सराहना

दुबई के क्रॉउन प्रिंस ने इस यूएई सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि 5 साल का मल्टीपल एंट्री वीजा दुबई की कंपनियों के कामगारों को बैठकों और अन्य व्यवसायिक जरूरतों के लिहाज से संयुक्त अरब से बाहर जाने में उपयोगी साबित होगा।

इसी के साथ संयुक्त अरब अमीरात ने कोरोनावायरस वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके व्यक्तियों के लिए अपने देश (यूएई) में आने के लिए छूट दे दी है। क्रॉउन प्रिंस के इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा भारतीय कामगारों को होने की उम्मीद है क्योंकि दुबई में भारत के बहुत से कामगार निवास करके काम करते हैं।

देश छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगे फर्म

UAE में रहने वाले कामगारों के लिए आयी राहत की खबर, अब कंपनियां नहीं कर पाएंगी पासपोर्ट जब्त

दुबई में बसे लाखों कामगारों को कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने के बाद पहले देश छोड़ना पड़ता था। मगर इस नए रूल के बाद उन्हें जबरदस्ती देश से जाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि इस फैसले से भारतीय कामगारों को भी लाभ मिलेगी।

इसके लिए कई मानवाधिकार ग्रुप लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। इसी का नतीजा है कि आज दुबई सरकार ने कामगारों के हित में इन कानूनों को लागू करने का फैसला किया है।